Thursday, November 18, 2010

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Tuesday, November 2, 2010

गेम्स घोटाले पर टाइम्स ऑफ इंडिया की चार्जशीट

आजकल पूरे देश का ध्यान आदर्श हाउसिंग घोटाले की तरफ है। लोग इसके बारे में जानकारी हासिल करने में लगे हुए। लेकिन, यह सिर्फ एक घोटाले से
दूसरे घोटाले की तरफ हमारा जाना है। इस भागम-दौड़ में हम पिछले घोटालों को कहीं भूल न जाएं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल विभिन्न एजेंसियों के खिलाफ 25 आरोप लगाए हैं। इस 'आरोपपत्र' का मकसद उन लोगों को बेनकाब करवाना है, जो कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए करोड़ों के घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। पेश हैं टीओआई के आरोप:-

ऑर्गेनाइजिंग कमिटी
1. क्वींस बैटन रिले
ओलिंपिक कमिटी लंदन में कॉन्ट्रैक्ट मैनेज करने में विफल रही। इसके लिए गलत तरीके से ए.एम.फिल्म्स ऐंड ए.एम.कार्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया गया। यह भी आरोप लगे कि इस फर्म के लिए भारतीय हाई कमिशन ने पैरवी की थी, हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया। आशीष पटेल द्वारा चलाए जा रहे इस फर्म को कारों और अन्य उपकरणों की व्यवस्था करने के लिए 2.5 लाख पाउंड का भुगतान किया गया। माना जा रहा है जो रेट दिए गए थे वह काफी बढ़े हुए थे।
राशि : 13 करोड़ रुपये
जांच की स्थिति : इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट जांच कर रही है।

2.टिकट
यह गेम्स का सबसे बड़ा रहस्य रहा। टिकटों की बिक्री की बात की गई, लेकिन गेम्स के दौरान ज्यादातर स्टेडियम खाली नजर आए। टिकट बूथ की व्यवस्था बेहद ही खराब थी। कोलोजिंग सेरेमनी के दौरान एक ही सीट की कई टिकटें देखने को मिलीं।
जांच स्थिति : ओलिंपिक कमिटी ने इसकी जांच की, शुंगलू कमिटी इस जांच को परखेगी।

3. SMAM घोटाला
मेलबर्न स्थिति स्पोर्ट्स मार्केटिंग ऐंड मैनेजमेंट (SMAM) कंपनी के साथ विज्ञापन के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया गया था। तय हुआ था कि कंपनी जो भी विज्ञापन लाएगी, उस पर उसे 15-23 पर्सेंट के बीच कमीशन मिलेगा। लेकिन, जो स्पॉंन्सर सीधे आए थे उनका भी कमीशन इस कंपनी को दे दिया गया।
जांच स्थिति: कैग जांच कर रही है।

4. ट्रेडमिल्स और अन्य
गेम्स में 45 दिनों के लिए ट्रेडमिल्स किराये पर 9.75 लाख रुपये में लाए गए, जबकि खरीदने पर उनकी कुल कीमत सिर्फ 7 लाख पड़ रही थी। ओलिंपिक कमिटी ने प्रत्येक टॉयलेट पेपर के लिए 80 डॉलर, फर्स्ट ऐड किट के लिए 125 डॉलर का भुगतान किया गया।
जांच स्थिति: कैग द्वारा जांच की जा रही है।

5.स्पॉन्सरशिप
मुख्य स्पांसर, भारतीय रेलवे ने 100 करोड़ रुपये देने का दावा किया। सेंट्रल बैंक ने आंशिक रूप से 50 करोड़ का भुगतान किया। कोका-कोला के साथ भी समझौता हुआ। टेलिविजन रेवन्यू की अभी गणना की जानी है। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने इसके लिए अलग से खाता बनाया है। ओसी ने 600 करोड़ रुपये रेवन्यू का दावा किया। इस तरह उसे 1200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जांच स्थिति : कैग जांच कर रही है।

6. गेम्स बेवसाइट
गेम्स की साइट का ऑटोमेटिक अपडेट सिस्टम लगभग फेल रहा। हालांकि, इसके लिए टाइमिंग, स्कोरिंग और रिजल्ट्स सिस्टम ( TRS ) जैसे महंगे टेक्निकल सिस्टम की खरीदारी हुई थी। कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन ने गेम्स के बीच में वैकल्पिक सिस्टम लगाने के लिए दवाब बनाया।
राशि: सिस्टम को ओलिंपिक कमिटी ने 112 करोड़ रुपये में खरीदा, जोकि मेलबर्न में खरीदे गए सिस्टम से 5 गुणा महंगा था।
जांच स्थिति: पता नहीं

7. टेनिस कोर्ट
आर.के. खन्ना टेनिस स्टेडियम में 14 सिंथेटिक टेनिस कोर्ट के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया, उसके इंडियन ब्रांच के हेड ओलिंपिक कमिटी के कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना के बेटे थे। खन्ना ऑल इंडिया टेनिस असोसिएशन के सेक्रेटरी भी हैं। हालांकि, इस खबर के खुलासे बाद ही उन्हें कोषाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था।
राशि : प्रत्येक सिंथेटिक कोर्ट के लिए 8 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
जांच स्थिति : खन्ना के इस्तीफा के बाद मामला ठंडे बस्ते में

8. कैटरिंग
ऐथलिट्स के लिए गेम्स विलेज में जो कैटरिंग की व्यवस्था रही उसमें शिकायत रही। गेम्स वेन्यू में आम जनता और स्टाफ के लिए जो खाने की व्यवस्था की गई थी, उसकी ढेरों सारी शिकायतें मिलीं।
राशि : गेम्स विलेज के लिए 100 करोड़, स्टाफ के लिए 9 करोड़ और अन्य जगहों के लिए 92 लाख।
जांच स्थिति : मुख्य कैटरर अग्रवाल फूड्स ने गेम्स के बीच में ही अपने हाथ खींच लिए और आरोपियों की अब तक पहचान नहीं।

9. गेम्स के सामान
CWG गेम्स से जुड़े सामानों को बाजार में जुलाई में ही उतारना चाहता था, लेकिन वे उसे सितंबर में मिलें। इसके लिए प्रीमियर ब्रैंड के साथ होने वाला डील फेल हो गया, बाद में इसमें किसी और वेंडर ने कोई रुचि नहीं दिखलाई।
आमदनी : करीब 5.2 करोड़ से ज्यादा की राशि, 2.6 करोड़ अडवांस मिले।
जांच स्थिति : पता नहीं

10. अक्रेडिटेशन (मान्यता)
22,000 वॉलनटियर्स, तकरीबन 2,000 स्टाफ और हजारों की संख्या में मीडियाकर्मी, स्पोर्टसपर्सन, डेलिगेट्स को सितंबर तक ही मान्यता दे देना था। जबकि, वास्तव में मान्यता देने का काम खेलों के दौरान भी चलता रहा। दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि उसके पास 84 हजार वॉलिनटियर्स के आवेदन आए हैं, लेकिन सिर्फ 17 हजार वॉलिनटियर्स को ही मान्यता मिल सका।
जांच स्थिति : जांच चल रही है।

एमसीडी और एनडीएमसी
11. पार्किंग
एमसीडी 24 पार्किंग साइट्स को तैयार कर रही थी, जिसमें से कम से कम 4 को गेम्स के पहले तैयार हो जाने थे, लेकिन 3 अक्टूबर तक एक भी पार्किंग तैयार नहीं पाई थी। हालांकि, एमसीडी का दावा है कि ये प्रोजेक्ट्स सीधे तौर पर गेम्स से नहीं जुड़े थे।
जांच स्थिति : जांच नहीं हो रही है।

12. रेलवे पुल
एमसीडी के बाकी प्रोजेक्ट्स की तरह इसके लिए भी शुरू में ही डेडलाइन तय की गई थी। हालांकि, बाद में एमसीडी यह कहते हुए मुकर गई कि ये प्रोजेक्ट्स गेम्स से नहीं जुडे़ हैं और अक्टूबर के पहले इन्हें पूरा करना संभव नहीं है। 16 में से सिर्फ 13 रेलवे पुल ही तैयार हो पाएं। गेम्स से सीधे तौर पर जुड़े प्रेम नगर और विवेक विहार के रेलवे पुल मार्च 2011 में तैयार हो पाएंगे।
जांच स्थिति : जांच के दायरे से बाहर।

13. कॉनट प्लेस
कॉनट प्लेस को संवारने के लिए भी शुरू में ही डेडलाइन तय गई थी। इसके तहत 16 ब्लॉक और सभी सब-वे को अपग्रेड किया जाना था। सब-वे में स्वाचालित सीढ़ियां लगाई जानी थीं। 8 नए सब-वे के निर्माण भी किए जाने थे। काम की शुरुआत 2009 में हो गया और पूरे इलाके को एमसीडी ने खोद डाला। कई बार डेडलाइन खत्म हुए। एनडीएमसी ने कहा कि सीपी गेम्स प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है। अंतत : जल्दबाजी में गड्ढे भरे गए और सभी काम आधे-अधूरे रहे।
जांच स्थिति : जांच के दायरे से बाहर

14. चांदनी चौक, पहाड़गंज, करोलबाग
एमसीडी चांदनी चौक के रीडिवेलपमेंट के लिए पिछले 6 सालों से प्लानिंग कर रही है। गेम्स के पहले एमसीडी ने कहा कि वह गेम्स के पहले शहर के इस पुराने बाजार के मुख्य इलाके को रीकंस्ट्रक्ट कर देगी। हालांकि, यह नहीं हो पाया और गेम्स के बाद भी यही स्थिति बनी हुई है। एमसीडी के पास करोलबाग और पहाड़गंज के सौंदर्यीकरण का भी जिम्मा था, जो पूरा नहीं हो सका।
जांच स्थिति : जांच नहीं हो रही है।

15.शिवाजी, तालकटोरा स्टेडियम
दोनों स्टेडियम सीवीसी के जांच के दायरे में हैं। इन स्टेडियम के इंचार्ज एक्जेक्यूटिव इंजीनियर वी.के.गुलाटी को पिछले हफ्ते सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि इनमें घटिया निर्णाम सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।
जांच स्थिति : जांच चल रही है।

16. टॉयलेट्स-कॉफी हॉउसेस
शुरुआत से ही ये विवाद में रहे हैं। तय तिथि तक इस तरह के सिर्फ 7 कॉम्प्लेक्स भी बन पाए। एमसीडी ने दावा किया था कि गेम्स के पहले 250 ऐसे कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हो जाएंगे।
जांच स्थिति : इसकी उपयोगिता को देखने के लिए एक पैनल बनाया गया है।

डीडीए
17. CWG विलेज
खेलगांव का निर्माण 2008 में शुरू हुआ, तभी से यह विवादों में बना रहा। निर्माण के दौरान हमेशा मजदूरों की कमी बनी रही और अंत में ओलिंपिक कमिटी ने गंदे फ्लैट अलॉट कर दिए। इन फ्लैट्स का निर्माण डीडीए ने एम्मार MGF के साथ मिलकर किया था। अब डीडीए इन फ्लैट्स को स्टेट ऑथॉरिटी को बेचना चाहती है।
राशि : डीडीए ने एम्मार को 750 करोड़ बेलआउट प्लान के तहत दिए। इसके अलावा 827 करोड़ रुपये पहले दिए गए थे।
जांच : जांच चल रही है।

18. यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स रूफ कॉलैप्स
13 जुलाई को यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की फाल्स सीलिंग गिर गई। तर्क दिया गया कि लगातार बारिश के कारण फाल्स सीलिंग गिरी।
राशि : निर्माण में 291 करोड़ रुपये लगे।
जांच स्थिति : जांच नहीं हो रही है।

19. वसंत कुंज फ्लैट्स
एक और डीडीए का प्रोजेक्ट देरी से शुरू हुआ और समय पर खत्म नहीं हो सका। गेम्स के लिए 5 हजार 3 स्टार फ्लैट्स बनने थे। अंत तक सिर्फ 2 हजार फ्लैट्स ही बन पाए। उनमें से ओलिंपिक कमिटी सिर्फ 600 फ्लैट्स का ही इस्तेमाल कर सकी।
राशि : 300 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च।
जांच स्थिति : डीडीए ने जांच के ऑर्डर देने से इनकार किया

दिल्ली सरकार, पीडब्ल्यूडी और अन्य

20. डीयू हॉस्टल्स
चूंकि गेम्स के दौरान आने वाले हजारों टूरिस्टों और मरम्मत का काम शुरू होने के कारण हॉस्टल बंद कर दिया गया, इसलिए पिछले 3 महीनों से यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स कैंपस से बाहर ही रहने के लिए मजबूर हैं। गेम्स के दौरान 2000 कमरे में से एक भी कमरे का इस्तेमाल नहीं किया गया, जो यूनिवर्सिटी और स्टूडेंट्स दोनों को यह सोचने के लिए मजबूर करता है कि आखिर इसे खाली क्यों करवाया गया।
राशि: 10 करोड़
जांच स्थिति: जांच का कोई आदेश नहीं है।

21. हेल्थ सर्विस
गेम्स के दौरान, वास्तव में 450 ऐम्बुलेंस रखने की व्यवस्था का काम आखिर तक पूरा नहीं हो पाया। गेम्स के एक सप्ताह पहले तक सरकार केवल 31 ऐंम्बुलेंस ही खरीद पाई। बाकी के 20 ऐंम्बुलेंस की व्यवस्था सरकारी हॉस्पिटलों से की गई। गेम्स विलेज और वेन्यू के लिए आइस बनाने वाली करीब 64 मशीन की व्यवस्था तो की गई, लेकिन इसे लगाया गया तब, जब टीम ने इसके लिए रिक्वेस्ट की।
राशि: 30 करोड़ रुपये।
जांच स्थिति: कोई आदेश नहीं।

22. वॉलनटियर
इस इवेंट के लिए वैसे तो करीब 30 हजार वॉलनटियर्स को प्रशिक्षित किया गया और 22,000 को काम में लगाए गए। लेकिन, इनमें से सिर्फ 17,000 वॉलनटियर्स को ही आधिकारिक तौर पर वॉलनटियर की मान्यता मिली। इनमें से भी कई तो वॉलनटियर किट मिलते ही छोड़कर निकल पड़े, जिसमें रीबॉक के यूनिफॉर्म, जूते और अन्य आकर्षक वस्तुएं शामिल थीं। वहां भले कइयों ने प्रशंसनीय काम किया, बावजूद इसके उन्हें खराब प्रतिक्रिया मिली, क्योंकि कुछ गलत वॉलनटियर्स भी वहां मौजूद थे, जिन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था कि आखिर उन्हें वहां काम क्या करना है। ओसी के साथ ब्रैंड असोसिएशन के बदले अमिटी ने इन्हें फ्री में प्रशिक्षण दिया था।
जांच स्थिति: कोई आदेश नहीं।

23. रोड, स्ट्रीटस्केपिंग (सौंदर्यीकरण)
कई कारणों से सभी मुख्य पीडब्ल्यूडी सड़क प्रॉजेक्ट्स में देरी हुई। फास्ट कनेक्टिविटी के लिए गेम्स विलेज को जोड़ने वाली 435 करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट बारापुला नाला रोड का काम तकरीबन 4 महीने देरी से पूरा हुआ। रिंग रोड बाईपास का काम भी जुलाई 2010 के डेडलाइन को पार कर गया, जबकि यूपी लिंक रोड का कम तो अब तक पूरा नहीं हो पाया है। पीडब्ल्यूडी ने सड़क सौंदर्यीकरण के लिए 42 किलोमीटर की दूरी पर 275 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। एमसीडी और एनडीएमसी ने 21 अलग-अलग रास्तों को खूबसूरत बनाने में 106 करोड़ रुपए खर्च किए। और तो और, इस दौरान जो रास्ते अच्छे-भले थे, सौंदर्यीकरण के नाम पर उसे भी इन्होंने उजाड़ कर रख दिया।
जांच स्थिति: सीवीसी जांच कर रही है।

24. जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हादसे, वीलड्रोम लीक
गेम्स से ठीक पहले सीपीडब्लूडी द्वारा बनाए गए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम कॉम्प्लेक्स के वेटलिफ्टिंग स्टेडियम की छत से करीब 10 टाइल्स नीचे आ गिरे। इस स्टेडियम पर 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए। जब गेम्स के शुरू होने में एक महीने से भी कम का समय बचा था तो 150 करोड़ रुपये आईजी वीलड्रोम, जो लीक हो रहा था उसपर खर्च किए गए। दरअसल साइकिल ट्रैक पर इम्पोर्टेड वुडन फ्लोरिंग पर एक मामूली सा नुकसान था और इसके कारण वीलड्रोम के पूरे होने में देरी हुई।
जांच स्थिति: कोई आदेश नहीं।

25. फुट-ओवरब्रिज का गिरना
देर से शुरू होने वाले पीडब्ल्यूडी के कई प्रॉजेक्ट्स में से एक प्रॉजेक्ट जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास बनने वाला फुट-ओवर ब्रिज भी है, जो पूरा होने के ठीक एक दिन पहले यानी 21 सितंबर को अचानक नीचे गिर पड़ा। इस दुर्घटना में करीब 20 लोग घायल हुए और सरकार ने फौरन इसे बनाने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की घोषणा कर डाली। आदेश के बावजूज इस जांच का काम पूरा नहीं हुआ है।
राशि: 5 करोड़ रुपये
जांच स्थिति: रिपोर्ट पेश किया जा चुका है।

Monday, October 25, 2010

हिस्स

मूवीः हिस्स
कलाकार : मल्लिका सहरावत , इरफान , रमन त्रिखा , दिव्या दत्ता
निर्माता : रतन जैन विक्रम सिंह
स्क्रिप्ट - निर्देशन : जेनिफर लिंच
गीत-संगीत : अनु मलिक
सेंसर सर्टिफिकेट :
अवधि : 106 मिनट 
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 बॉलिवुड में नागिन का बदला और नाग मणि हासिल करने की चाह में कुछ भी कर गुजरने का जज्बा हमेशा बॉक्स ऑफिस पर बिकाऊ रहा है। इस फॉर्म्युले में दर्शकों की हर क्लास को टिकट खिड़की तक खींचने का दम माना जाता है।

इस सब्जेक्ट पर बरसों पहले प्रदीप कुमार - वैजयंती माला की नागिन सुपर हिट रही , तो राज कुमार कोहली की मल्टिस्टारर नागिन ने रीना रॉय को नंबर वन की हीरोइनों में शुमार किया। सत्तर के दशक में नागिन बनी श्रीदेवी ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के नए रेकॉर्ड बनाए। पिछले कुछ अर्से से लगातार फ्लॉप फिल्मों की मार झेल रही मल्लिका सहरावत को भी मर्डर के बाद अपने नाम दूसरी हिट फिल्म दर्ज कराने का शॉर्ट कट नागिन बनना ही सही लगा।

अगर आप नागिन पर बनी इन पिछली फिल्मों के नाम पढ़कर इस फिल्म को देखने जा रहे हैं , तो समझ लीजिए इस फिल्म में पिछली फिल्मों जैसा कुछ भी नहीं है। इस नागिन का बदला लेने का स्टाइल बेहद क्रूर है। वह अपने दुश्मन को डसती नहीं बल्कि अपना विराट रूप धर निगल जाती है। दरअसल , इस फिल्म को हॉलिवुड की डायरेक्टर जेनिफर ने कुछ ऐसे ढंग से फिल्माया है कि इस नागिन को इंटरनैशनल मार्केट तक भी ले जाया जाए।

यही वजह है कि ओवरसीज मार्केट पर ज्यादा फोकस हुआ और फिल्म में उन मसालों को फिट नहीं किया जा सका जो ऐसी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर हिट कराते हैं। मल्लिका के अब तक के करियर की यह पहली ऐसी फिल्म है जिसमें वह स्टार्ट टु एंड खामोश रहीं। बेशक , तकनीक के मामले में फिल्म को नागिन के सब्जेक्ट पर बनी अब तक की फिल्मों में अव्वल है , लेकिन वहीं फिल्म में कहानी का बार टूटना और बार - बार नागिन बनी मल्लिका का न्यूड होकर खंभों पर चढ़ना समझ से परे है।

वहीं जेनिफर ने तकनीक को कुछ ज्यादा महत्व देते हुए बार नागिन बनी मल्लिका का केंचुली बदलना भी आम दर्शकों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।

कहानी : विदेश से अमर होने की चाह में नाग मणि की तलाश में भारत आया जॉर्ज स्टेट्स ( जैफ दोचे ) साउथ के जंगल में प्रेम क्रीड़ा करती नाग - नागिन की जोड़ी में से नाग को अपने कब्जे में लेता है। जॉन के साथ आए सपेरों की टीम का एक सदस्य उसे बताता है नागिन उससे बदला लेगी और उसकी टीम के हर सदस्य का मार डालेगी। जॉन पर इन बातों का कोई असर नहीं होता और वह नाग को अपने कब्जे में लेकर एक गुमनाम जगह ले जाता है। अपनी आंखों के सामने अपने प्रेमी नाग को बंदी बनाते जॉन और उसकी टीम के सदस्य की तस्वीर अपनी आंखों में कैद करने के बाद नागिन ( मल्लिका सहरावत ) अपना रूप बदलकर बदला लेने निकलती है।

इस नागिन का बदला लेने का तरीका बेहद वीभत्स है। वहीं शहर में एक के बाद एक हो रही हत्याओं की जांच का काम जब इंस्पेक्टर विक्रम गुप्ता ( इरफान खान ) शुरू करता है तो शुरू में तो उसे यह काम किसी खूंखार हत्यारे का लगता है लेकिन जैसे - जैसे जांच आगे बढ़ती है विक्रम भी यकीन करने लगता है इन हत्याओं के पीछे किसी नागिन का बदला हो सकता है।

ऐक्टिंग : इस फिल्म में मल्लिका के पास कोई संवाद नहीं है। यही वजह है कि कुछ सीन्स में मल्लिका ने अपनी आंखों से कमाल का काम लिया है। इंस्पेक्टर विक्रम के रोल में इरफान खान छाए हुए है। नाग मणि की चाह में भारत आए सनकी अंग्रेज जॉन के रोल में जैफ बस शोर मचाते नजर आते हैं। हां , छोटी भूमिका में दिव्या दत्ता अच्छी रहीं। फिल्म में मल्लिका के न्यूड सीन्स की बेहद चर्चा रही लेकिन फिल्म में जेनिफर ने इन्हें ऐसे ढंग से पेश किया है कि दृश्य कहानी का हिस्सा लगते हैं।

डायरेक्शन : जेनिफर ने फिल्म के कैमरामैन से बेहद अच्छा काम लिया है। फिल्म को ओवरसीज मार्केट में हिट कराने और मल्लिका को इंटरनैशनल स्टार बनाने की ' ख्वाहिश ' में जेनिफर ने कुछ ऐसा किया , जो ऐसे टेस्ट की फिल्मों के शौकीनों को फिल्म से दूर करता है।

संगीत : अनु मलिक का संगीत फिल्म के माहौल पर पूरी तरह से फिट है। बैकग्राउंड स्कोर दमदार है। मल्लिका पर फिल्माए डोले डोले रे तन मेरा मन में अनु मलिक ने बीन की धुन का खूबसूरती से इस्तेमाल किया है।

क्यों देखें : अगर नागिन का बिल्कुल बदला लेटेस्ट खौफनाक रूप और मल्लिका की खामोशी देखनी है तो फिल्म देखिए। फैमिली क्लास और मसाला फिल्मों के शौकीनों को इस नागिन से निराशा होगी।

कॉमनवेल्थ घोटाले के तथ्य ऑनलाइन जुटाएगी बीजेपी

बीजेपी ने कॉमनवेल्थ खेलों में हुए घोटालों की निष्पक्ष जांच के लिए संबंधित विभागों के

मंत्रियों से नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देने की मांग की है। इन घोटालों के बारे में लोगों से जानकारी जुटाने के लिए ईमेल और वेबसाइट लॉन्च करने का ऐलान किया है।


तीन मंत्री और सीएम : बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन घोटालों के बारे में नित नए खुलासे हो रहे हैं। सीनियर अधिकारी और मंत्री एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। प्रसार भारती के सीईओ लाली ने यह कह कर अपने विभाग की मंत्री अंबिका सोनी पर ही उंगली उठा दी है कि प्रसारण अधिकारों के लिए किए गए भुगतान की सारी जानकारी मंत्री को ही है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सुरेश कलमाड़ी पर आरोप लगाए हैं। अन्य मंत्रियों के नाम भी आ रहे हैं। निष्पक्ष जांच के लिए अंबिका सोनी, जयपाल रेड्डी, शीला दीक्षित और एम.एस. गिल को नैतिक आधार पर त्यागपत्र दे देना चाहिए।

वेबसाइट और ई-मेल : बीजेपी के महासचिव विजय गोयल ने बताया कि बीजेपी ने गेम्स में भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी ने cwgghotala@gmail.com नाम से ईमेल सर्विस लॉन्च कर दी है। cwgghotala.com नाम की वेबसाइट जल्द शुरू की जाएगी। जिन लोगों के पास इन घोटालों से जुड़ी जानकारी होगी, वे ऑनलाइन भेज सकेंगे। उनकी शिनाख्त गुप्त रखी जाएगी। यह जानकारी संयुक्त संसदीय कमिटी को जांच के लिए दी जा सकेगी। यदि समिति नहीं बनती तो अभी जांच कर रही एजेंसियों को यह जानकारी दी जा सकेगी।

जांच बनी खिचड़ी : गोयल ने आरोप लगाया कि सीवीसी, सीएजी, सीबीआई, एन्फोर्समेंट विभाग, आयकर विभाग और शुंगलु कमिटी मिल कर छह एजेंसियां हो गईं जो इस संबंध में जांच कर रही हैं। इससे यह जांच पूरी तरह से खिचड़ी हो गई है। इतनी अधिक जांच एजेंसियां होने से छह महीने में तो सभी संबंधित फाइलें भी उनके पास नहीं पहुंचेंगी। इन एजेंसियों के बीच यह भी पता नहीं कि समन्वय कौन करेगा।

जेपीसी बने : गोयल ने कहा कि सरकार बताए कि अपराधी पकड़े जाएंगे या नहीं। यदि पकड़े जाएंगे तो भ्रष्टाचार का पैसा उनसे कैसे वसूला जाएगा। केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार, आयोजन समिति, बड़े-बड़े मंत्री, अधिकारी जांच के घेरे में हैं, जिनसे केवल संयुक्त संसदीय समिति ही सारे तथ्य जुटा सकती है इसलिए जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए।

Wednesday, October 20, 2010

बिहार में पहले चरण का मतदान शुरू

पटना।। बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के 47 विधानसभा क्षेत्रों में गुरुवार सुबह 7 बजे से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान शुरू ह

ो गया। प्रथम चरण में होने वाले चुनाव के अधिकांश इलाके सीमांचल और कोसी क्षेत्र के हैं। प्रथम चरण के चुनाव में 10,454 मतदान केन्द्रों पर कुल 10,700,797 मतदाता 52 महिलाएं सहित कुल 631 प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे। मतदाताओं के लिए 25,728 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों
राज्य के प्रथम चरण में मतदान होने वाली 47 सीटों में मधुबनी जिला में 10, अररिया में 6, सुपौल में 5, किशनगंज में 4, पूर्णिया में 7, कटिहार में 7, सहरसा में 4 और मधेपुरा जिला में 4 विधानसभा सीटें शामिल हैं। मतदान होने वाले क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

सुरक्षा के मद्देनजर सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में सुबह सात बजे से तीन बजे तक मतदान होगा जबकि अन्य सभी क्षेत्रों में पांच बजे तक मत डाले जा सकेंगे। 

ललित भनोट से पूछताछ करेगा ईडी

नई दिल्ली।। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फेमा के तहत मामला दर्ज करने के बाद कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन के समिति कई वरिष्ठ अधिकारियों
सुरेश कलमाड़ी (बाएं)के साथ ललित भनोट (दाएं)
को समन जारी किया है। इसमें सुरेश कलमाड़ी के खासमखास माने जानेवाले और आयोजन समिति के जनरल सेक्रटरी ललित भनोट भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक ईडी ओसी अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी से भी पूछताछ कर सकता है।

लंदन में क्वींस बैटन रिले में फेमा के उल्लंघन के मामले में निदेशालय ने यह समन जारी किया है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईडी के हाथ कुछ पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं।

पिछले अगस्त में ईडी ने आयोजन समिति के जॉइंट डाइरेक्टर पद से हटाए गए टी.एस. दरबारी से पूछताछ की थी। ईडी ने आयोजन समिति के निलंबित डिप्टी डाइरेक्टर जनरल संजय महिंद्रू से भी सवाल-जवाब किया था।

गौरतलब है कि दरबारी आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के काफी नजदीकी माने जाते हैं। दरबारी और महिंद्रू को पिछले साल लंदन में क्वींस बैटन रिले के दौरान वित्तीय लेनदेन में अनियमितता बरते जाने के बारे में अपना पक्ष रखने के लिए समन जारी किया गया था और उनसे पूछताछ की गई थी।

Monday, October 18, 2010

जब 230 रु. बदल गए 14 लाख में, मौज मनाकर फुर्र..!

बेंगलुरू में एक सरकारी क्लर्क को उस वक्त अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हुआ होगा जब उसके बैंक खाते में पड़े 230 रुपए 14.3 लाख में बदल गए। लेकिन यह उसकी किस्मत नहीं बैंक की भूल के कारण हुआ।

कर्नाटक इंश्योरेंस विभाग में कार्यरत अंकेश जीसी ने जब स्टेट बैंक ऑफ मैसूर में खुला अपना बैंक खाता देखा होगा तो शायद ही उसे यकीन हुआ हो। बैंक की भूल से उसके खाते में 14.3 लाख रुपए पहुंच गए थे। अंकेश ने विभिन्न बैंकों के एटीएम से ज्यादातर रकम निकाल भी ली।

हालांकि 29 सितंबर को बैंक को अंकेश के खाते में हुई गड़बड़ी का पता चल गया और उसे पैसे वापस करने संबंधी पत्र भेज दिया गया। अंकेश ने 29 सितंबर को ही 30 हजार रुपए वापस भी कर दिए। उसने फिर 5 अक्टूबर को बैंक को दो लाख रुपए और वापस किए लेकिन अभी उसे 12 लाख रुपए और वापस करने हैं।

स्टेट बैंक ऑफ मैसूर ने इसके बाद 8 अक्टूबर को दोबारा अंकेश को नोटिस भेजा लेकिन अंकेश ने कहा कि उसे कोई पैसा नहीं मिला है। बैंक ने फिलहाल कबोन पार्क पुलिस स्टेशन में अंकेश के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया है। अभी भी आरोपी अंकेश को बैंक को करीब 12 लाख रुपए और वापस करने हैं। अंकेश फिलहाल फरार है और पुलिस उसकी तलाश में लगी है।


इस गड़बड़ी के बारे में बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैंक अपने डाटाबेस सॉफ्टवेयर में बदलाव कर रही थी। इस सॉफ्टवेयर अपग्रेड के दौरान ही भूलवश अंकेश के खाते में यह रकम चली गई।