1-सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया है।
2.जजमेंट में यह भी साबित हो गया है कि मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद।
3.जहां रामलला विराजमान हैं वही राम जन्मभूमि है।
4. जमीन 3 भागों में बांटा जाएगा।
5 . जहां रामलला विराजमान है वह जमीन मंदिर को दी जाएगी।
6. एक तिहाई सुन्नी वक्फ बोर्ड को।
7. एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा दिया जाएगा। इसमें राम चबूतरा और सीता रसोई भी शामिल है।
8. जहां रामलला विराजमान हैं वह स्थान मंदिर को।
गौरतलब है कि पूरा देश यह जानना चाहता है कि आखिर इस विवादित जमीन पर किसका मालिकाना हक है।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की स्पेशल लखनऊ बेंच ने 28 मुद्दों को अपने फैसले का आधार बनाया। यानी जमीन पर किसका मालिकाना हक इसको तय करने को लेकर कोर्ट ने इन 28 मुद्दों पर गौर फरमाया है।
इस विवादित जमीन के लिए 5 मुकदमे चल रहे थे।
इस मामले में पहला मुकदमा 1885 में दायर किया गया था। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में यह मुकदमा दायर किया था। उन्होंने फैजाबाद कोर्ट से इजाजत मांगी थी कि उन्हें विवादित ढांचे के पास चबूतरा बनाने की इजाजत दी जाए, जहां पर भगवान की प्रार्थना की जा सके। लेकिन, कोर्ट ने इस मुकदमे को खारिज कर दिया था। कोर्ट का तर्क था कि 350 (1528) साल पहले यह विवाद हुआ था और आपने मुकदमा काफी लेट किया है। गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह बाबर के सिपहसलार मीर बाकी द्वारा 1528 में कराया गया था। हिंदू धर्माचार्यों का दावा है कि मीर बाकी ने हिंदू मंदिर को तोड़ कर वहां मस्जिद का निर्माण किया था।