Friday, October 1, 2010

गांधी की जीवनी अभी भी बेस्ट सेलर

मुंबई।। गांधी जी की हत्या के 62 साल बाद भी उनकी जीवनी 'बेस्ट सेलर' है। जिस समय देश हिंसा, भ्रष्टाचार और छल

कपट के कारण त्राहिमाम कर रहा था उस समय गांधी जी की जीवनी ने सत्य अहिंसा का संदेश दिया। चकित करने वाली मगर खुशी की बात यह है कि आज भी सत्य अहिंसा बेस्ट सेलिंग में हैं। तभी तो गत वर्ष गांधी जी की जीवनी की 2 लाख 57 हजार प्रतियां बिकीं और इस साल अप्रैल से सितंबर 2010 के बीच जीवनी की करीब 1 लाख 40 हजार प्रतियां बिक चुकी हैं।


इस जीवनी का 12 भारतीय और 6 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है। सभी भाषाओं में गांधी जी की जीवनी की मांग दिनों दिन बढ़ रही है। अनुमान है कि मार्च 2011 तक इस पुस्तक की 3 लाख 50 प्रतियां बिक जाएंगी। 1084 में गांधी फिल्म के प्रदर्शन के बाद से इस पुस्तक की मांग बढ़ी और इसके बाद ही गांधी बुक सेंटर की स्थापना की गई। आज इस सेंटर में गांधी जी पर विभिन्न भाषाओं में 250 पुस्तकें उपलब्ध हैं। बीच गांधी जी विषयक पुस्तकों की मांग घटने लगी थी, मगर फिल्म 'लगे रहो मुन्ना भाई' के प्रदर्शन के बाद फिर से गांधी जी की जीवनी और उनसे संबंधित किताबों की मांग में जोरदार वृद्धि हुई।

इस वर्ष गांधी शांति परीक्षा में 1.10 लाख विद्यार्थी केरल से और 55 हजार विद्यार्थी महाराष्ट्र से बैठे। यह परीक्षा गांधी जी की जीवनी पर आधारित है। गत 5 वर्षों के दौरान सर्वोदय मंडल ने महाराष्ट्र के जेलों में गांधी जी की जीवनी की 2500 से अधिक प्रतियां वितरित कीं। इसके पहले कैदियों को गांधी, लगे रहो मुन्ना भाई और दो आंखें बारह हाथ फिल्में दिखाई गईं। इसके बाद कैदियों ने गांधी जी जीवनी पढ़ने में रुचि दिखाई। मजेदार बात यह है कि आज भी मराठी, गुजराती और अंग्रेजी में गांधी जी पर हर माह 2-3 किताबें प्रकाशित होती रहती हैं। गांधी सीईओ और अनुदित गांधी कथा को मूल रूप से उमाशंकर जोशी ने गुजराती में लिखा था। जुलाई 2010 तक गांधी कथा की 15 हजार प्रतियां बिक चुकी थीं। ये पुस्तकें अंग्रेजी, हिंदी, मराठी और गुजराती में थीं। रेखांकित करने वाली बात यह है कि अगस्त-सितंबर (दो माह) माह में गांधी कथा (मराठी) की 6000 प्रतियां बिकीं।