Wednesday, October 6, 2010

गोल्ड मेडल विजेता चानू की 'बेइज्जती'

नई दिल्ली।। कॉमनवेल्थ गेम्स ऑर्गनाइजिंग कमिटी को भारतीय स्टार्स की कितनी परवाह है इसका उदाहरण बुधवार को देखने को मिला। भारत के
लिए वेटलिफ्टिंग के 58 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वालीं रेनू बाला चानू को घर जाने के लिए अधिकारी एक-अदद गाड़ी मुहैया कराने में नाकाम रहा।

गोल्ड मेडल जीतने के कुछ घंटे बाद ही रेनू बाला चानू को गाड़ी के लिए इधर-उधर भटकते हुए देखा गया, लेकिन जब काफी देर तक उन्हें गाड़ी नहीं मिली तो वह अपने परिवार के साथ ऑटो लेकर चली गईं।

भारत की इस वेटलिफ्टिंग स्टार को मजबूरी में ऑटो से घर जाना पड़ा। चानू के साथ उसके परिवार के लोग भी शामिल थे। अधिकारियों से जब इसे बाबत पूछा गया तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें नहीं पता था कि चानू अपनी गाड़ी से नहीं आई हैं।

गौरतलब है कि चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने यह 58 किलोग्राम इवेंट में यह पदक जीता।
सौ साल से बिना कुछ खाए जिंदा है 205 साल के बाबा
लखनऊ ॥ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में एक ऐसे इंसान का नाम जुड़ने जा रहा है जो पूरे दो सौ पांच बसंत देख चुके हैं और अब

206 साल की उम्र में एंट्री करने जा रहे हैं। इंडिया-नेपाल के यूपी बॉर्डर स्थित श्रावस्ती जिले के स्वामी दयाल जी महाराज पूरे सौ साल से भोजन-अन्न नहीं ग्रहण कर रहे हैं। जगपति नाथ मंदिर के बुजुर्ग बाबा आजादी की दोनों लड़ाई देख चुके हैं और गांधी-नेहरू के साथ जेल भी जा चुके हैं।


नेपाली सांसद का दावा...
सुनने में किसी को भले ही यकीन नहीं होगा मगर बाबा के दर्शन करने आए नेपाली सांसद दिनेश चंद्र यादव ने दावा किया कि उनके चार पुरखे बाबा जी के परम भक्त रहे। यादव के अनुसार उनके पिता की समाधि राप्ती नदी तट पर स्थित बाबा के आश्रम पर आज भी देखी जा सकती है। वे महीने में एक-दो बार बाबा के दर्शन करने सालों से आ रहे हैं। उन्होंने वर्ल्ड गिनीज बुक में भी स्वामी दयाल महाराज की लंबी उम्र की जानकारी दे दी है।

रोजाना योग साधना करते हैं
और तो और बहराइच के सबसे बुजुर्ग जीवित बूढ़ों में से एक 102 साल के किशोरी लाल का कहना है कि बचपन में जब उनकी उम्र दस साल की थी तो उनके घरवालों ने बाबा की उम्र उस समय 95 साल से ऊपर बताई थी। बचपन से अब तक उन्होंने बाबा को जस का तस देखा है। तब भी वे उतने ही एक्टिव थे, जितने आज हैं। रोजाना पूजन-योग साधना और मंत्रोच्चारण का काम बाबा नियमित रूप से कर रहे हैं।

काशी के जूना अखाड़ा से जुड़े हैं
उनका कहना है कि यदि किसी को बाबा की इतनी विशाल उम्र का विश्वास न हो तो उनके डीएनए से ही उम्र परखी जा सकती है। श्रावस्ती के नॉर्थ की ओर बसे जमुनहा गांव के पुराने लोग इसके गवाह हैं जहां पर मंदिर स्थित है। काशी के जूना अखाड़ा से जुड़े बाबा नेपाल के बागेश्वरी हनुमान मंदिर के आज भी महंत हैं जिन्हें पांच एकड़ जमीन के साथ नेपाल सरकार अलाउंस दे रही है। लेकिन उन्हें भारत ही प्यारा लगता है।

1805 में काठमांडू में हुआ था जन्म
भगवान दत्तात्रेय के उपासक बाबा स्वामी दयाल महाराज का जन्म नेपाल के सरकारी रेकॉर्ड में दर्ज है। नेपाली सांसद यादव ने बताया कि बाबा का जन्म काठमांडू में 20 मार्च 1805 में हुआ था। आजादी की लड़ाई से पहले ही बाबा भारत गए थे। उनकी मुलाकात लाला लाजपत राय , सुभाषचंद्र बोस , महात्मा गांधी , जवाहरलाल नेहरू , सरदार बल्लभ भाई पटेल , लाल बहादुर शास्त्री एवं इंदिरा गांधी जैसी हस्तियों से होती रही।

1910 से भोजन नहीं कर रहे हैं
यादव ने दावा किया कि वे साल 1910 के बाद से भोजन नहीं कर रहे हैं। जब वे गांधी - नेहरू के साथ जेल में बंद थे तो अंग्रेज उन्हें लाल पगड़ी कहकर पुकारते थे। यूपी में रह रहे बाबा आज भी सिर पर लाल पगड़ी धारण करते हैं। नेपाल में राजपरिवार से लेकर वहां की सरकार और लोग उनका आज भी बेहद सम्मान करती है। वन्य जीव प्रेमी बाबा ने राप्ती किनारे बने इस मंदिर में ही अपने आपको सीमित कर लिया है।